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शिक्षा में उत्कृष्टता लाएगा चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम

नवभारतटाइम्स.कॉम 13 Apr 2015, 8:30 am

शिक्षा में समानता, सक्षमता और उत्कृष्टता लाने के लिए चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) आवश्यक है। सभी केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालय को चाहिए कि...

bring excellence in education choice based credit system
शिक्षा में उत्कृष्टता लाएगा चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम

मनीष झा, मुंबई:

शिक्षा में समानता, सक्षमता और उत्कृष्टता लाने के लिए चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) आवश्यक है। सभी केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालय को चाहिए कि वे अपने पाठयक्रम में इस प्रणाली को लागू कर छात्रों को अधिक से अधिक विषयों में अध्ययन करने की आजादी दें। यह बातें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के उपाध्यक्ष प्रो. देवराज ने व्यक्त की। प्रो. देवराज महात्मा गांधी इंटरनैशनल हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में मुंबई विश्वविद्यालय के मराठी भाषा भवन में आयोजित समारोह में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम कार्यशाला का उद्घाटन किया। शुक्रवार को हुए समारोह में एमयू के वीसी डॉ. राजन वेलुकर, महात्मा गांधी इंटरनैशनल हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र, सीबीसीएस के विषय विशेषज्ञ प्रो. नारायण तथा प्रो. एम. पी. महाजन, एमयू के प्रो-वीसी डॉ. नरेश चंद्र सहित महाराष्ट्र, गोवा, मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ तथा बिहार से आए हुए कुलपति, कुलसचिव तथा वरिष्ठ प्रफेसरों समेत दो सौ से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित थे।

शिक्षा में समरूपता और क्रियान्वयन पर जोर

यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रो. देवराज ने सीबीसीएस की व्याख्या करते हुए बदलते शैक्षणिक परिदृश्य में स्टूडेंट्स के लिए उसकी आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि नैशनल क्वॉलिफिकेशन कमिशन ने शिक्षा में समरूपता लाने पर ध्यान दिया है। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए यूजीसी ने सीबीसीएस प्रणाली के माध्यम से स्टूडेंट्स को उनकी रुचि के विषय पढ़ने आजादी दी है। इस प्रणाली में शिक्षक को ही मुख्य आधार माना गया है। हायर एजुकेशन के सिलेबस को बनाने एवं लागू करने की पूरी जिम्मेदारी यूजीसी ने कुलपतियों को दे दी है। आयोग केवल पॉलिसी बनाने का काम करता है। उन्होंने कहा कि सीबीसीएस को देशभर के शिक्षा संस्थानों में लागू करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने पहल की है, जो शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वाकांक्षी निर्णय है। इसके तहत देशभर में कार्यशालाएं आयोजित कर सीबीसीएस के महत्व को लेकर शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

नई प्रौद्यौगिकी से होगा सर्वागीण विकास

मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजन वेलुकर ने कहा कि पिछले तीन दशकों से शिक्षा में महत्वपूर्ण परिवर्तन आए हैं। हमें चाहिए कि नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर स्टूडेंट्स को उनके विकास के लिए अध्ययपन और अध्यापन की सुविधा दी जाए। महात्मा गांधी इंटरनैशनल हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि स्टूडेंट्स को करियर चुनने के लिए सीबीसीएस एक उपयोगी विकल्प साबित हो सकती है। स्टूडेंट्स को ज्ञान के साथ-साथ स्किल डिवेलपमेंट करने और उनको इम्पावर्ड बनाने के लिए सीबीसीएस को अपनाना चाहिए। उन्होंने बैचलर ऑफ वोकेशनल और सामुदायिक महाविद्यालय की संकल्पना का संदर्भ देते हुए स्टूडेंट्स को रोजगारपरक और सक्षम बनाने की बात कही। उन्होंने विश्वविद्यालय में हिंदी माध्यम से फिल्म एवं थिएटर, जनसंचार, अनुवाद, स्त्री अध्ययन, अहिंसा, भाषा और साहित्य तथा दो वर्षीय बी.एड. जैसे अनोखे और करियर ओरिएंटेड सिलेबस के बारे में चर्चा की। यह जानकारी हिंदी विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी बी.एस. मिरगे ने दी।

कोट

यूजीसी चाहती है कि हमारी शिक्षा प्रणाली और शिक्षक भी जवाबदेह बने ताकि हायर एजुकेशन के माध्यम से स्टूडेंट्स में मूल्यों का संचार हो और उनमें करियर बनाने के लिए सक्षमता और उत्कृष्टता विकसित हो सके।

प्रो. देवराज, उपाध्यक्ष, यूजीसी

शिक्षा के क्षेत्र में पिछले तीन दशकों से कई बदलाव हुए हैं। ऐसे में नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से स्टूडेंट्स का विकास निश्चित रूप से होगा, मगर उसके लिए स्टूडेंट्स को अध्ययन और अध्यापन की सुविधा देनी होगी।

डॉ. राजन वेलुकर, वीसी, एमयू

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