कोलकाता।। भारतीय दंड संहिता की धारा 498अ का विवाहित पुरुषों के खिलाफ दुरूपयोग किए जाने की वजह से भारत में हर नौंवे में मिनट में एक विवाहित पुरुष आत्महत्या करता है। इस संदर्भ में आई रिपोर्ट के अनुसार इन आत्महत्याओं के कारण मरने वालों की संख्या प्रति वर्ष 64 हजार पहुंच गई है। हृदय-नेस्ट ऑफ फैमिली हारमोनी नामक गैर सरकारी संगठन के अध्यक्ष डी. एस. राव संस्था द्वारा किए गए सर्वेक्षण के हवाले से कहते हैं, 'राष्ट्रीय अपराध रेकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े विवाहित महिलाओं की तुलना में विवाहित पुरुषों द्वारा आत्महत्या के ज्यादा मामले दर्शाते हैं। वर्ष 2012 में लगभग 64 हजार विवाहित पुरुषों ने आत्महत्या की थी और इस साल आत्महत्या करने वाली विवाहित महिलाओं की संख्या 32 हजार थी।'
धारा 498अ के अनुसार यदि किसी महिला का पति या उसका कोई संबंधी उसके साथ निर्मम व्यववहार करता है तो उसे कम से कम तीन साल के लिए कैद की सजा दी जाएगी और उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। राव ने कहा कि 498अ के दुरूपयोग की वजह से और पारिवार का सदस्य होने के नाते उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराए जाने के कारण बूढ़े माता-पिता और पुरुष के अन्य संबंधियों को भी कष्ट झेलना पड़ता है।
धारा 498अ के अनुसार यदि किसी महिला का पति या उसका कोई संबंधी उसके साथ निर्मम व्यववहार करता है तो उसे कम से कम तीन साल के लिए कैद की सजा दी जाएगी और उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। राव ने कहा कि 498अ के दुरूपयोग की वजह से और पारिवार का सदस्य होने के नाते उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराए जाने के कारण बूढ़े माता-पिता और पुरुष के अन्य संबंधियों को भी कष्ट झेलना पड़ता है।