नई दिल्ली
ऊबर कैब में महिला ऐग्जिक्युटिव से रेप के आरोपी शिव कुमार यादव के वकील ने पुलिस की जांच में कई खामियां होने का दावा किया है। अडिशनल सेशन जज कावेरी बावेजा के सामने अंतिम दलीलें पेश करते हुए शिव कुमार के वकील डी. के. मिश्रा ने कहा कि मामले में जिस तरह से जांच हुई, उससे साफ है कि पुलिस और अभियोजन पक्ष मिलकर शिव कुमार को दोषी साबित करने पर तुले हैं।
कई ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब नहीं दिया गया। पुलिस ने क्यों पीड़िता के मंगेतर का नाम गवाहों की लिस्ट से हटा दिया? पीड़िता के मोबाइल नंबर्स के सिलसिले में वह अहम गवाह है। उसी ने पुलिस को नंबर दिया था, जिसके बाद कॉल डिटेल्स का रिकॉर्ड निकाला गया। जब उसे गवाह ही नहीं बनाया गया तो हम यह कैसे बता पाएंगे कि उसने जो नंबर दिया, वह फर्जी था।
मिश्रा ने कहा कि पुलिस को लड़की के मोबाइल फोन का सिम कार्ड नहीं दिया गया, जिससे जाहिर है कि पुलिस तथ्यों को दबाने की कोशिश कर रही है। इस पर जज ने पूछा कि केस से सिम कार्ड का क्या लेना-देना है? वकील ने कहा कि यह इसीलिए जरूरी है, क्योंकि इसमें घटना के बाद भेजे गए मेसेजेस की डिटेल है। इसमें ऐसा भी कोई मेसेज हो सकता है जिसमें महिला घटना के बारे में कुछ बता रही हो। हमें कहां से वे मेसेजेस मिलेंगे? सच को छिपाने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
वकील ने कैब बुक करने और पुलिस को घटना की सूचना देने के समय पर भी सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि लड़की ने पुलिस को पहला जो बयान दिया, उसमें रात में 9:30 पर कैब में बैठने की बात कही गई, लेकिन बाद में मैजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए बयान में उसने रात 10 बजे के करीब कैब बुक कराने और 11 बजे उसमें बैठने की बात कही। पीसीआर कॉल डिटेल्स से साफ है कि लड़की ने देर रात 1.09 बजे पुलिस को पहली बार कॉल की और पुलिस एक घंटे के भीतर उसके पास पहुंची।