वस, तीस हजारी'शादीशुदा होते हुए एक गैर व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए कानून से अनजान होने का बहाना सही नहीं हो सकता।' अदालत ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति को शादीशुदा महिला से शादी के झूठे वादे कर रेप करने के आरोप से बरी करते हुए की। अडिशनल सेशन जज कावेरी बावेजा ने कहा कि महिला के शादीशुदा होते हुए आरोपी के साथ महज शादी के वादे पर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए कानून का पता न होने को सही बहाना नहीं कहा जा सकता। जाहिर होता है कि आरोपी और महिला के बीच आपसी सहमति से संबंध बने। अदालत ने दो बच्चों की मां की वह दलील खारिज कर दी जिसमें उसने कहा था कि वह हिंदू मैरिज एक्ट के बारे में नहीं जानती थी कि वह अपनी पहली शादी बरकरार होते हुए दूसरी शादी नहीं कर सकती। अदालत ने कहा, इस बयान के आधार पर यह नहीं माना जा सकता कि उसने अपनी मर्जी से संबंध नहीं बनाए। पहले से ही कानून है कि एक हिंदू महिला पहली शादी बरकरार होते हुए दूसरी शादी नहीं कर सकती। इसलिए महिला के इस दावे को भी स्वीकार नहीं किया जा सकता कि आरोपी ने उससे शादी करने का वादा किया था और इसीलिए वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार हो गई। महिला ने इस मामले में 4 मई, 2012 में प्रसाद नगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि विशाल कुमार (बदला हुआ नाम) ने उसके साथ रेप किया और उसे धमकी दी। महिला ने कहा था कि वह शादीशुदा थी, लेकिन तीन-चार साल से अपने पति से अलग रह रही थी। कुमार ने शादी का झांसा देकर जबरन उसके साथ संबंध बनाए और इस बारे में किसी को बताने पर उसे जान से मारने की धमकी दी थी।