वरिष्ठ संवाददाता, पटियाला हाउस मेड की हत्या के सिलसिले में अपने पति व बीएसपी सांसद धनंजय सिंह के साथ आरोपी जागृति सिंह ने अदालत में दलील दी कि उन पर हत्या का आरोप नहीं लगाया जा सकता। उनका कहना था कि पुलिस के पास हत्या का मकसद साबित करने से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं है। मामले में अडिशनल सेशन जज लोकेश कुमार शर्मा के सामने आरोपों पर बहस हुई। इस दौरान जागृति सिंह की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है, जिससे पीड़ित को कथित जख्म देने के पीछे का मकसद स्थापित होता हो। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि जागृति के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का आरोप नहीं बनता। अदालत ने आरोपों पर आगे की बहस सुनने के लिए 6 मई की तारीख तय की है। मामले में अपनी पत्नी जागृति सिंह के साथ आरोपी धनंजय सिंह उत्तर प्रदेश के जौनपुर लोकसभा सीट से बीएसपी सांसद हैं। शनिवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने उन्हें इस दिन के लिए निजी रूप से पेशी की छूट दे दी थी। उन्हें हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव में नॉमिनेशन फाइल करने के लिए एक हफ्ते की अंतरिम जमानत पर रिहा किया है। एक सरकारी अस्पतार में डेंटल सर्जन रही जागृति न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद हैं। मामले में दाखिल चार्जशीट में पुलिस ने धनंजय और जागृति पर हत्या, हत्या की कोशिश, गलत ढंग से बंधक बनाकर रखना, धमकाना और सबूत नष्ट करने से संबंधित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं। पुलिस ने इन दोनों को पिछले साल 5 नवंबर को अपनी 35 वर्षीय मेड राखी भद्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। राखी वेस्ट बंगाल की रहने वाली थी। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया कि जागृति अपने तीन नौकरों को बेरहमी से पीटा करती थी और उसने उन्हें अपने यहां काम करने के लिए जबरन अपने घर में कैद करके रखा हुआ था। राखी का शव 4 नवंबर, 2013 की शाम धनंजय के साउथ एवेन्यू स्थित आवास से बरामद हुआ था। उसके हाथ-पैर और छाती पर गहरे जख्मों के निशान थे। धनंजय के खिलाफ रेलवे की एक 42 वर्षीय महिला कर्मचारी से रेप के आरोप में अलग से एक मामला दर्ज है।