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बच्चे ही नहीं, बड़े भी लगवाएं वैक्सीन

नवभारतटाइम्स.कॉम | 20 Apr 2014, 08:00:00 AM

वर्ल्ड वैक्सीनेशन वीक (24 से 30 अप्रैल तक ) पर खास वैक्सीन लगवाने से बहुत-से बीमारियों से बचा जा सकता है। बीमारी से बचे रहने के लिए इन्हें लगवाना...

children not only vaccine also installed large
बच्चे ही नहीं, बड़े भी लगवाएं वैक्सीन
वर्ल्ड वैक्सीनेशन वीक (24 से 30 अप्रैल तक ) पर खास वैक्सीन लगवाने से बहुत-से बीमारियों से बचा जा सकता है। बीमारी से बचे रहने के लिए इन्हें लगवाना बेहद जरूरी है। ऐसी बहुत-सी बीमारियां हैं, जिनकी वैक्सीन लगवाना हमारे नैशनल प्रोग्राम में हैं और ये वैक्सीन सरकारी अस्पतालों में फ्री भी लगवाए जाते हैं। ऐसी बीमारियां हैं : हेपटाइटिस बीडिप्थीरियाकाली खांसीपोलियोमीजल्समम्सटिटनसरुबैला (जर्मन मीजल्स)फोर्टिस सीडॉक में अडिशनल डायरेक्टर डॉ. रीतेश गुप्ता के मुताबिक कुछ और भी वैक्सीन हैं, जो हमारे नैशनल प्रोग्राम में नहीं हैं, लेकिन इन्हें लगवाना चाहिए। ऐसी बीमारियां हैं : चिकनपॉक्सहेपटाइटिस एहीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बीसर्वाइकल कैंसरइन्फ्लुएंजाजापानी बुखारमेनिंग्जाइटिसनिमोनियाकॉलरा (हैजा)डायरियारुबैलाटीबी टायफॉयडहालांकि डॉ. गुप्ता के मुताबिक कॉलरा और टीबी का वैक्सीन बहुत असरदार नहीं है। फिर भी लगवाना अच्छा रहता है। इसके अलावा जापानी बुखार का वैक्सीन उन इलाके के लोगों को लगवाना चाहिए, जहां यह बीमारी ज्यादा होती हो, जैसे कि बिहार, ईस्टर्न यूपी आदि। मेनिंग्जाइटिस का वैक्सीन भी उस वक्त लगाने की सलाह दी जाती है, जब यह बीमारी फैली हो। खासकर ग्रुप में रहनेवाले लोगों जैसे कि हॉस्टल, मिलिस्ट्री प्लाटून आदि में इसे लगवाने की सलाह दी जाती है। टायफॉयड की वैक्सीन 3-4 साल में लगती है, उसे भी समय पर लगवा लेना चाहिए। इसके अलावा इन्फ्लुएंजा की वैक्सीन लगवानी चाहिए, खासकर उन लोगों को, जिन्हें इन्फेक्शन के चांस ज्यादा हों, जैसे कि शुगर या लंग्स की समस्या वालों को, 60 साल की उम्र के लोगों को। यह वैक्सीन हर साल लगवाई जाती है। मिथ मंथन वैक्सीनेशन सिर्फ बच्चों के लिए, बड़ों के लिए नहीं वैक्सीनेशन सिर्फ बच्चों के लिए नहीं है। डॉ. पुनीत पुर्थी, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मे़डिकल साइंसेज के मुताबिक, निमोकोकस निमोनिया, इन्फ्लुएंजा, चिकनपॉक्स, टायफॉयड, टिटनस के अलावा हेपटाइटिस ए, बी और ई का वैक्सीन बड़ों को भी लगवाना चाहिए। डायबीटीज के मरीजों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को निमोकॉकल निमोनिया और इन्फ्लुएंजा की वैक्सीन लगवानी चाहिए। बुखार न आए तो वैक्सीन असर नहीं कर रहीकुछ वैक्सीन लगने के बाद बच्चों को हल्का बुखार आता है, क्योंकि बुखार भी शरीर का इम्युनिटी रेस्पॉन्स है। कभी लोकल रिएक्शन से भी फीवर हो सकता है। लेकिन बुखार हो ही, ऐसा जरूरी नहीं है। बुखार के बिना भी वैक्सीन असरदार होती है। वैक्सीन में मौजूद मर्करी बच्चों के लिए नुकसानदेहऐसा कोई सबूत नहीं है। मर्करी से वह जगह कई बार लाल हो जाती है, जहां इंजेक्शन लगता है। बैक्टीरियल और फंगल इन्फेक्शन को रोकने के लिए कुछ वैक्सीन में मर्करी का यूज होता है। लेकिन इसकी मात्रा काफी कम होती है और इसका कोई नुकसान नहीं होता। बुखार, खांसी-जुकाम में वैक्सीन लगवाना नुकसानदेह यह सही है कि अगर शरीर में किसी तरह का इन्फेक्शन है तो उस वक्त वैक्सीनेशन नहीं कराना चाहिए, क्योंकि बॉडी पहले ही एक इन्फेक्शन से फाइट कर रही होती है। लेकिन अगर इस दौरान वैक्सीन लगवा ली जाए तो भी नुकसान नहीं होगा। हां, असर जरूर कम होगा।
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